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Adani-Hindenburg Case: जांच के लिए नई कमेटी गठन की मांग, सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर
याचिका में कहा गया है कि कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया जाए, जिनकी छवि बेदाग हो और जिनका अडानी-हिंडनबर्ग मामले से किसी भी तरह का कोई लेना-देना न हो.

अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है. याचिका में नई विशेषज्ञ समिति गठित करने का अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता अनामिका जयसवाल ने अपने वकील रमेश कुमार मिश्रा के माध्यम से यह याचिका दायर की है.

अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर में हेरफेर तक के आरोप

याचिका में कहा गया है कि कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया जाए, जिनकी छवि बेदाग हो और जिनका अडानी-हिंडनबर्ग मामले से किसी भी तरह का कोई लेना-देना न हो. समिति में वित्त, कानून और शेयर बाजार से जुड़े विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई कर सकता है. 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर हेरफेर तक के आरोप लगाए थे. इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था.

एमएम सप्रे थे छह सदस्यीय समिति के प्रमुख

समिति के प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश एएम सप्रे थे. उनके साथ कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट्ट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन भी शामिल थे. कमेटी ने 19 मई 2023 को अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की थी.

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बिंदु 

समिति ने रिपोर्ट में कहा- सेबी को संदेह है कि अडानी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटरों से संबंध हो सकते हैं.

अडानी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई पैटर्न नहीं मिला है. वॉश ट्रेड का मतलब वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद शेयर खरीदना और बेचना है.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट प्रकाशित होने से पहले कुछ संस्थानों ने छोटे पद ले लिए थे। जब शेयर की कीमत गिरी तो उन्होंने इसे खरीद लिया और मुनाफा कमाया.

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