Adani-Hindenburg Report: SEBI तीन माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को मामले में जांच करने को कहा था. सेबी ने कहा था कि उक्त जांच में करीब 15 माह से ज्यादा का समय लग सकता है. मगर हम इसकी जांच को 6 माह में पूरा करने की कोशिश करेंगे.

    अडाणी हिंडनबर्ग के बीच चल रहे विवाद में दायर की गई सभी याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 6 सदस्यों वाली एक कमेटी बनाई थी, जिसमें उन्हें दो माह के अंदर रिपोर्ट देने को कहा था. 8 मई को कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंप दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सेबी को तीन माह के अंदर रिपोर्ट सौंपने को कहा है. मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट में 8 मार्च को 6 मेंबर्स की कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन को शामिल किया गया था.

    कोर्ट ने SEBI को दिए थे जांच के आदेश 

    मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को मामले में जांच करने को कहा था. जिसमें उन्होंने अडानी के सभी शेयर्स को करीब नजर रखी जाए और शेयर की कीमतों के हुए हेरफेर की जांच की जाए. जिसके बाद 29 अप्रैल को सेबी ने जांच के लिए कोर्ट से करीब 6 माह का समय मांगा था. सेबी ने कोर्ट में दलील हुए कहा था कि उक्त जांच में कई उलझाने वाले तथ्य हैं, जिसके चलते इनवेस्टिगेशन में काफी समय लग रहा है. सारे मामले की जांच में कम से कम 15 माह का समय लग सकता है. मगर हम इसे 6 माह में खत्म करने की कोशिश करेंगे. 

    इन वलीकों ने दायर की थी याचिका

    मिली जानकारी के अनुसार अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद में एडवोकेट एम एल शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और सोशल वर्कर मुकेश कुमार द्वारा यह याचिकाएं दायर की गई थी. मामले में पहली सुनवाई 10 फरवरी को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा औऱ जेबी पारदीवाला की कोर्ट में हुई थी.

    यह था मामला

    बता दें कि हिंडनबर्ग अमेरिका की एक शॉर्ट सेलिंग कंपनी के तौर पर जानी जाती है. जिसके द्वारा दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियों के फाइनेंस पर इनवेस्टिगेशन की जाती है. रिपोर्ट अडानी पर हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में जाली शेल कंपनियां बना कर अपना फंड्स मैनेज करते हैं. अडानी इन कंपनियों के जरिए अरबों रुपए के फंड ट्रांसफर करते थे.