आखिर WHO ने क्यों कहा, 'अगर रहना है स्वस्थ तो घटाए अपने सेक्सुअल पार्टनर्स'....!!!!

    वही, अब 'मंकीपॉक्स' नाम की बीमारी ने भी दस्तक दे दी है। WHO ने मंकीपॉक्स से बचने के लिए लोगो को 'सेक्सुअल पार्टनर्स' कम करने की नसीहत भी दी है।

    पूरी दुनिया में कोरोना महामारी ने जमकर तांडव मचाया, कोरोना की चपेट में आने से लाखों लोगों की मौत हो गई, पूरी दुनिया में इस महामारी ने जहां एक ओर कई करोड़ लोगों को बेखर किया, तो कई देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। वही, अब 'मंकीपॉक्स' नाम की बीमारी ने भी दस्तक दे दी है। WHO ने मंकीपॉक्स से बचने के लिए लोगो को 'सेक्सुअल पार्टनर्स' कम करने की नसीहत भी दी है। 


    कोरोना के बाद इस वायरस का होगा तांडव?


    कोरोना का प्रकोप शांत भी नहीं हुआ था कि एक और महामारी ने दुनिया में पांव पसारना शुरू कर दिया है। इस वायरस का नाम है मॉकीपॉक्स। मॉकी पॉक्स वायरस अब तक दुनिया के करीब 100 देशों में फैल चुका है WHO ने भी इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है WHO की मानें तो पहली बार इतने कम समय में ये वायरस कई  देशों में फैल चुका है। इसलिए एहतियात के तौर पर WHO ने इस बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है।


    मंकीपॉक्स क्या है ?


    यहां आपको ये बताना जरूरी है कि पॉक्स का हिन्दी में मतलब होता है चेचक। यानी इंसान की त्वाचा में फोड़े- फफोले जैसे दाग होते हैं अभी मंकीपॉक्स है, इसके अलावा स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स जैसे कई सारे पॉक्स वायरस है। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडिंग 2015 में तय किया गया था कि किसी भी वायरस को किसी जगह, जॉग्राफी, जानवर, खाने, देश के नाम पर नहीं रखा जाएगा। लेकिन संयोग से मंकीपॉक्स नाम 1958 के वक्त रखा गया था। आइडियली इसे चेंज कर देना चाहिए। और मंकीपॉक्स की जगह कुछ और नाम देना चाहिए।  


    जनिए कैसे फैलता है मंकी पॉक्स?


    दरअसल मंकी पॉक्स वायरस जंगली जानवरों से फैलता है। जो इस तरह के पॉक्स वायरस को कैरी करके चलता है। और वह जानवर किसी इंसान के संपर्क में आता है। उसके बाद उस संक्रमित इंसान के जरिए बाकी इंसानों से अलग-अलग तरह के संपर्क जरिए यह वायरस फैलता है। जैसे किसी दूसरे के तौलिए का इस्तेमाल करने से या जहां कहीं आप बैठे हैं वहां उस वायरस के अवशेष से, या सेक्सुअल कॉन्टैक्ट बनाने से फैलता है


    संक्रमण से कैसे करें उपचार?


    इस महामारी का कोई पुख्ता इलाज नहीं है, यानी अभी तक इस वायरस के लिए अभी तक कोई ऐसी दवा या टीका नहीं है जो इस वायरस को मार सके यहां आपको बताना जरूरी है कि जैसे चेचक के दौरान अगर बुखार है तो बुखार की दवाई, अगर पसीने आ रहे हैं डिहाइड्रेशन है तो पानी चढ़ाना होता है। या केअर सपोर्ट के लिए उसे आईसीयू में भर्ती करते हैं। यह सेल्फ हीलिंग डिजीज है। जो एक समय के बाद बॉडी का इम्यून इस पर हावी होता है और इस वायरस को खत्म कर देता है।