गरीबी से उठकर दुनिया में छा जाने वाले 26 साल के 'धीरू' की पंडित धीरेंद्र शास्त्री बनने की काफी रोचक है कहानी

    Bageshwar Dham Peethadhiswar, Dhirendra Krishna shastri: बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने महज 26 साल की उम्र में कथा के माध्यम से दुनियाभर में अपनी पहचान बना ली है. उनके दरबार में बड़े-बड़े नेता, मंत्री और अधिकारी भी अर्जी लगाते हुए दिखाई देते हैं.

    बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चर्चा में बने हुए हैं अर्जी लगाने वाले भक्तों की समस्या बिना पूछे लिखकर बता देने वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने महज 26 साल की उम्र में दुनियाभर में अपना नाम बना लिया है. 4 जुलाई 1996 में छतरपुर के ग्राम गढ़ा में जन्मे धीरु उर्फ पंडित धीरेंद्र शास्त्री का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. पिता रामकृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग की तीन संतानों में वह सबसे बड़े हैं. 

    वह अभी छत्तीसगढ़ के रायपुर में कथा सुना रहे हैं इस दौरान पूर्व सीएम रमन सिंह भी उनके दरबार में आर्शीवाद लेने पहुंचे. 
     
    पुरोहित गिरी करते थे पिता 

    धीरेंद्र शास्त्री के पिता गांव में पुरोहित गिरी करते थे और इसी से परिवार का भरण-पोषण करते थे, इसके बाद पिता की राह पकड़ते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने भी गांव में सत्यनारायण की कथा सुनानी शुरू कर दी.  उन्होंने अपनी मेहनत और कथा वाचन करके आज दुनियाभर में ख्याती प्राप्त कर ली है और दरबार लगाकर लोगों की समस्या का समाधान करने का दावा कर रहे हैं. 

    देवकी नंदन ठाकुर की जगह रामकथा सुनाने लगे धीरेंद्र शास्त्री 

    सत्यनारायण स्वामी की कथा सुनाने वाले धीरेंद्र शास्त्री ने अपने गांव में स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना करनी शुरू की इसी मंदिर को ही बालाजी और बागेश्वर धाम से जाना जाता है. इस मंदिर में रामकथा का प्रचलन पुराने समय से चला आ रहा था पहले इस मंदिर में रामकथा के लिए देवकी नंदन ठाकुर को बुलाया जाता था लेकिन फिर धीरेंद्र शास्त्री ने ही उनकी जगह रामकथा सुनानी शुरू कर दी. 

    दादा की तरह पोता भी लगाने लगा दिव्य दरबार 

    इस हनुमान मंदिर में उनके दादा भगवानदास गर्ग दिव्य दरबार लगाते थे, अपने दादा को दिव्य पुरुष बताने वाले धीरेंद्र शास्त्री अपनी विद्या को उन्हीं से सीखने का दावा करते हैं और दादा की तरह वह भी लोगों की अर्जी लगाते हैं. 

    12वीं तक पढ़ाई, लंदन की संसद में सम्मानित

    धीरेंद्र शास्त्री ने 12वीं तक पढ़ाई की है उनकी ज्यादातर पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से ही हुई है. लंदन की संसद में उन्हें 3 अवॉर्ड संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप से 14 जून 2022 को सम्मानित किया गया.

    रोज लगाने लगे दरबार, मोबाइल नंबर से भक्त का चुनाव

    धीरेंद्र शास्त्री के पिछले कुछ सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो गए जिसमें वह लोगों की समस्या बिना बताए कागज में लिखते हुए दिखाई दे रहे हैं इसके बाद भारी संख्या में भीड़ पहुंचने लगी, इसे देखते हुए शनिवार और मंगलवार की जगह रोज दरबार लगने लगा. अर्जी लगाने के लिए लाल कपड़े में नारियल बांधकर बागेश्वर धाम में रखा जाता है. दिव्य दरबार में हिस्सा लेने के लिए टोकन लेने पड़ता है इस टोकन में दी गई जानकारी के आधार पर मोबाइल नंबर से भक्तों का चयन होता है. 

    विवादों में भी रह चुके हैं धीरेंद्र शास्त्री 

    धीरेंद्र शास्त्री सभी मुद्दों पर खुलकर बोलने के लिए जाने जाते हैं फिल्मों में अश्लीलता हो या देवताओं से जुड़ी प्रतिमा हो वह हर मुद्दे पर खुलकर बोलते हैं इसी कई बार वह विवादों में भी आ जाते हैं. पैर छून के लिए आए भक्त को लेकर अछूत शब्द के इस्तेमाल पर सोशल मीडिया में उनकी जमकर आलोचना हुई थी. शाहरुख की फिल्म पठान में भगवा रंग को लेकर भी उन्होंने आवाज उठाई. 

    नागपुर से भागने का लगा आरोप 

    नागपुर में अंधविश्वास उन्मूलन समिति की ओर से धीरेंद्र शास्त्री पर भागने के आरोपों को लेकर वह चर्चा में हैं. दावा किया गया कि उनके सवालों से डरकर धीरेंद्र शास्त्री भाग गए. 

    हम झुकने वाले नहीं हैं- धीरेंद्र शास्त्री 

    इस पूरे मसले पर धीरेंद्र शास्त्री ने भारत 24 से बात करते हुए कहा कि मैं भागा नहीं था वहां से मैं अपने तय शेड्यूल के मुताबिक वापस आ गया था. मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं. हम प्रार्थना वाले लोग हैं. हम हनुमानजी के भगत हैं. मैं कोई अन्धविश्वास नहीं फैला रहा न ही कोई चमत्कार कर रहा हूं.