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Ayushmann Khurrana को मिला टाइम 100 इंपेक्ट अवॉर्ड, स्पीच में पढ़ा भगवद गीता का श्लोक; देखें VIDEO
कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतु भूर्मा, ते संगो स्तवकर्मणि. यह श्लोक निःस्वार्थ कर्म का सार बताता है. यह परिणामोन्मुखी की बजाय प्रक्रियाोन्मुखी होने पर जोर देता है.

Global Time 100 Impact Awards: बॉलीवुड एक्टर 'Ayushmann Khurrana' इस साल के टाइम 100 इम्पैक्ट अवॉर्ड में सम्मानित हुए हैं तो वहीं आपको बता दें कि टाइम 100 इम्पैक्ट अवॉर्ड में पाने वाले एकमात्र भारतीय थे. साथ ही तीन साल में यह दूसरी बार है कि प्रतिष्ठित पत्रिका 'Ayushmann'को यह सम्मान मिला है, जो आज भारतीय सिनेमा के सबसे डिसरप्टिव अभिनेता के रूप में जाने जाते हैं. वहीं टाइम ने स्वीकार किया कि, 'Ayushmann Khurrana' एक ऐसे बॉलीवुड स्टार हैं और उनके जैसा कोई और भी नहीं है. 

एक्टर 'Ayushmann'की विनिंग स्पीच

आपको बता दें कि कल रात ग्लोबल टाइम 100 इम्पैक्ट अवॉर्ड में, 'Ayushmann'ने अपना भाषण में भगवद गीता के श्लोक से शुरुआत की. उन्होंने कहा, “शुरू करने से पहले, मैं हमारे भारतीय/हिंदू धर्मग्रंथ और मार्गदर्शक भगवत गीता के एक श्लोक का पाठ कहना चाहूंगा- कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतु भूर्मा, ते संगो स्तवकर्मणि. यह श्लोक निःस्वार्थ कर्म का सार बताता है. यह परिणामोन्मुखी की बजाय प्रक्रियोन्मुखी होने पर जोर देता है. वहीं यह आपको अपने श्रम के फल से अलग रहने के लिए प्रशिक्षित भी करता है.”

तो वहीं टाइम 100 इम्पैक्ट अवॉर्ड में 'Ayushmann Khurrana' का भावपूर्ण भाषण देखें, जिसे वहां मौजूद गणमान्य लोगों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया है. एक्टर 'Ayushmann'प्रतिष्ठित वैश्विक कार्यक्रम में गर्व से भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे .वह कहते हैं कि, “प्रतिष्ठित टाइम मैगज़ीन द्वारा एक कलाकार के रूप में पहचाना जाना मेरे लिए एक विनम्र क्षण है. मैं यहां भारत के भविष्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए आया हूं और मुझे इस तथ्य पर गर्व है कि भारत सिनेमा के माध्यम से प्रगतिशील कहानी कहने का केंद्र बन रहा हूं.”

एक्टर ने अपने भाषण के माध्यम से भारत की शानदार स्ट्रीट थिएटर संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करते हुए और बताया कि इसने उन्हें एक कलाकार के रूप में कैसे आकार दिया. आगे 'Ayushmann Khurrana'कहते हैं कि, “मैं एक स्ट्रीट थिएटर अभिनेता के रूप में बहुत सक्रिय था.

स्ट्रीट थिएटर वास्तव में क्या है? यह थिएटर का एक बहुत ही अनोखा प्रारूप है, जहां एक समूह में कलाकार सार्वजनिक स्थान पर एक घेरा बनाते हैं, लोगों को नाटक देखने के लिए बुलाते हैं. और यह अधिनियम हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को समाहित करता रहता है. यह या तो एक व्यंग्य है या सामाजिक परिवर्तन का दृढ़ आह्वान है.

आगे उन्होंने कहा, मूल रूप से हम भारतीय बस्कर्स का एक समूह थे, जिन्होंने हमारी किशोरावस्था के अंत और बीस के दशक की शुरुआत में भारत की लंबाई और चौड़ाई की यात्रा की गई, और जनता या सबसे कम आम विभाजक के साथ जुड़ाव बनाया है. मैं बस इतना जानता हूं कि भारत के जमीनी स्तर के बारे में मेरी जागरूकता ने ही मुझे वह बनाया है जो मैं आज हूं. जैसा कि वे कहते हैं कि आप जितना अधिक स्थानीय होंगे, आपकी पहुंच उतनी ही अधिक वैश्विक होगी जायगी. 

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