Whatsapp-Facebook से बंद हो जाएगी कॉलिंग सर्विस, देश के लिए है खतरा!

    टेलिकॉम कंपनियों में रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ टेलिकॉम रेगुलेटर ट्राई (TRAI) में शिकायत की है। इन कंपनियों का कहना है कि Whatsapp, facebook,Telegram,Instagram और Skype जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

    टेलिकॉम कंपनियों में रिलायंस जियो, एयरटेल और  वोडाफोन आइडिया ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ टेलिकॉम रेगुलेटर ट्राई (TRAI) में शिकायत की है। इन कंपनियों का कहना है कि Whatsapp, facebook,Telegram,Instagram और Skype जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। टेलिकॉम कंपनियों ने इंटरनेट बेस्ड कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियों के लिए रेगुलेटरी और लाइसेंसिंग व्यवस्था बनाने की मांग की है। इससे ये कंपनियां देश के कानूनों और दिशानिर्देशों के हिसाब से चलेंगी। टेलिकॉम कंपनियों के इस शिकायत और तर्क से यह माना जा रहा है, Whatsapp और Facebook पर कॉल करना भविष्य में मुश्किल हो सकता है। 

    TRAI के चेयरमैन के साथ हुई बैठक

    TRAI के चेयरमैन पीडी वाघेला के साथ टेलिकॉम कंपनियों के अधिकारियों की बैठक हुई, इस बैठक में रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया, टाटा टेली (Tata Tele) और बीएसएनएल (BSNL) के सीनियर अधिकारी शामिल थे। टेलिकॉम कंपनियों की अगुवाई एयरटेल के सीईओ गोपाल विट्टल ने की। गोपाल विट्टल का कहना है कि मोबाइल कंपनियों के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं लेकिन OTT कंपनियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि कॉल और मेसेजिंग ट्रैफिक में OTT प्लेटफॉर्म्स का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

    राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है OTT Calls 

    टेलिकॉम कंपनियों का कहना है कि 'OTT प्लेटफॉर्म्स की सर्विस कई बार ब्लैकआउट और आउटेज की स्थिति में डाउन रहती है। लेकिन उनसे कोई सवाल नहीं पूछता है। इंटरनेट कंपनियों के लिए रेगुलेटरी व्यवस्था बहुत आसान है और इनकी वजह से टेलिकॉम कंपनियों का रेवेन्यू भी प्रभावित हो रहा है। हम नेटवर्क का विस्तार नहीं कर पा रहे हैं, और हमारा मुनाफा भी कम हो रहा है।' 

    टेलिकॉम कंपनियों का आगे ये भी कहना है कि OTT प्लेटफॉर्म्स देश की सुरक्षा के लिए खतरा है, और इसका मुख्य कारण ये है कि अधिकांश ओटीटी प्लेटफॉर्म्स एप बेस्ड हैं। इनके लिए देश में कोई नियम और दिशा निर्देश नहीं है। कई मामलों में ये कंपनियां यूजर डेटा देने से इन्कार कर चुकी हैं।