Dil Ki Duniya: इस्मत चुगताई के जीवन संघर्ष को बयान करती है 'दिल की दुनिया', जिसने भी देखा नाटक उसने सराहा

    Dil Ki Duniya: 'दिल की दुनिया' उर्दू की विख्यात लेखिका इस्मत चुगताई के इंटरव्यू, आत्मकथा, लघुकथाओं की महिलापात्रों की विविध-छवियों से प्ररित है.

    Dil Ki Duniya: इस्मत चुगताई के जीवन संघर्ष को बयान करती है 'दिल की दुनिया', जिसने भी देखा नाटक उसने सराहा

    Dil Ki Duniya:  दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में 'दिल की दुनिया ' व शहीद- साज़ यह नाट्य प्रस्तुति की गई. यह नाटक औरतों के संघर्षों और सच्चाई को बयान करता है. जो आज के जद्दोजहद से बबस्ता होती है और इंसानी वजूद और इंसानियत के हक में सबसे जरूरी है. यथार्थ की पकड़ के साथ आदमी पर होने वाले ज़ुल्म और सांप्रदायिकता के खिलाफ माहौल को पैदा करने वाले निज़ाम की इस प्रस्तुति में तीखी आलोचना की गई है. 

    'दिल की दुनिया'  उर्दू की लेखिका इस्मत चुगताई के इंटरव्यू, आत्मकथा, लघुकथाओं की महिलापात्रों की विविध-छवियों से प्ररित है. ये एक कोलाजनुमा, किस्सागोई शैली की नाट्य प्रस्तुतिकरण है. इस्मत अपने सामाजिक परिवेश में समाज की महिलाओं की भूमिका, शिक्षा के अधिकार के महत्व को दर्शाती है. ये नाटक भारतीय समाज के रूढ़िवादी जीवन मूल्यों और घिसी पिटी परम्पराओं पर चोट करता है.

    नाटक यह दर्शाता है कि समाज और परिवेश कि नब्ज़ पकड़ जीते जागते पात्रों को साकार करने वाली इस्मत की खुद अपनी बनावट क्या है और किस प्रक्रिया में उसका निर्माण हुआ. 30 के दशक में परदेदार कुलीन मुस्लिम परिवार की एक लड़की को पढ़ने-लिखने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सामाजिक समरसता व महिलाओ के सशक्तिकरण, यह सब इस प्रस्तुति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

    मंटो के शब्दों में ‘इस्मत पर बहुत कुछ कहा गया है और बहुत कुछ कहा जाता रहेगा. कोई उसे पसंद करेगा कोई नापसंद. लोगों की पसंद और नापसंदगी से ज़्यादा अहम चीज इस्मत की तख्लीकी कुव्वत है. बुरी, भली,उरिया, मस्तूर जैसी भी है क़ायम रहनी चाहिए. इस नाटक में निर्देशन आर्य श्री आर्या ने एक दर्जन से अधिक चरित्रों को सफलतापूर्वक मंच पर उकेरा. इस नाटक को संगीत मोहित चुग ने दिया.

    'शहीद साज़' विभाजन के बाद एक व्यापारी मुनाफे के लालच में पाकिस्तान बसने चल देता है. वहां पहुंचकर वह उलटे सीधे तरीके से पैसा तो बना लेता है पर उसके दिल को सुकून नहीं मिलता. अंत में उसे पता चलता है सुकून तो शहादत में है वो भी अपनी नहीं, दूसरों की और वो चल पड़ता है इस पवित्र कार्य को अंजाम देने के लिए, शहीद बनाने के लिए. 'शहीद साज़' का एकल प्रदर्शन शहादत हसन मंटो की मूल कहानी पर आधारित था. जिसका सफल निर्देशन एवं अभिनय विजय सिंह ने किया.