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महिला आरक्षण विधेयक अगर कानून बन भी गया, तो भी 2029 से पहले नहीं होगा लागू
महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) में महिलाओं को लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की बात कही गई है.

देश की नई संसद भवन में मंगलवार 19 सितंबर को महिला आरक्षण विधेयक (Women Reservation Bill) को पेश किया गया. पेश किए गए बिल के विवरण के मुताबिक यह विधेयक चुनाव क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होने के बाद लागू किया जाएगा. इस महिला आरक्षण विधेयक के तहत महिलाओं को लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की बात कही गई है.

महिला आरक्षण विधेयक में SC-ST को भी मिला आरक्षण

इस विधेयक में अनुसूचित जातियों (SC) एवं अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षण को शामिल किया गया है. लेकिन इस विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) के लिए कोई कोटा नहीं दिया गया है, क्योंकि संविधान में भी वह विधायिकाओं के लिए नहीं दिया गया. महिला आरक्षण विधेयक के तहत महिलाओं को दिया गया यह कोटा राज्यसभा अथवा राज्यों की विधान परिषदों में भी लागू नहीं होगी.

महिलाओं के लिए एक-तिहाई यानी 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित

संसद में पेश किए गए इस महिला आरक्षण बिल के अनुसार लोकसभा एवं राज्य की विधानसभाओं में एक तिहाई यानी 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. इसके साथ ही इन्हीं 33 फीसदी महिला आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई यानी 33 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए भी आरक्षित की गई हैं.

2029 के चुनाव से पहले महिला कोटा नहीं होगा लागू

कहा जा रहा है कि अगर यह महिला आरक्षण बिल अभी पास होने के बाद कानून बन भी जाता है, तो 2029 के चुनाव से पहले यह महिला कोटा लागू नहीं किया जा सकता है. क्योंकि यह निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन एवं कानून लागू होने के बाद भी पहली जनगणना होने के बाद ही संभव हो पाएगी. अब अगली जनगणना 2027 में होने की संभावना जताई जा रही है.

27 साल पहले इतना ही रिजर्वेशन देने पर आया था बिल

दरअसल में महिला आरक्षण विधेयक के प्रावधान 'संविधान (128वां संशोधन) अधिनियम 2023, के लागू होने के बाद जो देश की पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होंगे, उसके निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन लागू होने के 15 साल बाद यह प्रभावी नहीं रहेगा. इस विधेयक के मुताबिक "अनुच्छेद 239ए.ए., 330ए एवं 332ए के प्रावधानों के अधीन, लोकसभा, किसी राज्य की विधानसभा तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें उस तिथि तक आरक्षित रहेंगी, जो संसद कानून से तय करेगी." हालांकि आज से 27 साल पहले भी इतना ही रिजर्वेशन देने के लिए बिल लाया गया था. लेकिन तब से यह आगे नहीं बढ़ पा रहा था.

 

 

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