H3N2 वायरस ने भारत में कहर बरपाना शुरू कर दिया है। कुछ महीने पहले तक लोग इसे सर्दी और बुखार तक देखते थे, लेकिन अब यह वायरस जानलेवा होने लगा है. अब तक 6 लोगों की जान ले चुका है। जानकारी के मुताबिक इस वायरस से हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में मौत हुई है. हालांकि देशभर में इस वायरस से हुई मौतों की जांच की जा रही है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने जानकारी दी है कि पिछले दो-तीन महीनों से इंफ्लूएंजा वायरस के A सबटाइप एच3एन2 के कारण बुखार और सर्दी-खांसी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। जानकारों का कहना है कि H3N2 की वजह से अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या भी बढ़ी है.
विशेषज्ञों ने बताया कि इसके लक्षण कोरोना से मिलते जुलते हैं, इस वायरस से संक्रमित होने पर लोग थकान और कमजोरी महसूस करते हैं। जिससे ठीक होने में करीब दो सप्ताह का समय लगता है।
इस वायरस से संक्रमित होने पर लोगों में नाक बहना, तेज बुखार, खांसी (शुरुआत में गीली और फिर लंबे समय तक सूखना), छाती में जमाव जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। WHO के अनुसार, मौसमी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने पर बुखार, खांसी (आमतौर पर सूखी), सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान, गले में खराश और नाक बहना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर लोगों का बुखार एक हफ्ते में ठीक हो जाता है लेकिन खांसी ठीक होने में दो या दो से ज्यादा हफ्ते लग जाते हैं।
आमतौर पर तो यह इन्फ्लूएंजा किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपने जद में ले सकता है। लेकिन इससे सबसे बड़ा खतरा गर्भवती महिलाओं, 5 साल से कम उम्र के बच्चों, बुजुर्गों और किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को होता है। इनके अलावा, स्वास्थ्य कर्मियों को भी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने का सबसे अधिक खतरा होता है।