बाल विवाह मामले को लेकर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने असम सरकार को फटकार लगाते हुए बाल विवाह के सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस तरह के मामलों में बड़ी संख्या में गिरफ्तारी से लोगों के निजी जीवन में तबाही आ सकती है। ऐसे मामलों में पुलिस आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर सकती। कोर्ट का ये भी कहना है कि बाल विवाह के आरोपियों पर पॉक्सो जैसे गंभीर कानून और रेप के आरोप लगाना बेहद अजीब मामला है।
बता दें कि हाल ही में असम कैबिनेट ने 14 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी कराने वालों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित किया था। सरकार के इस कानून के बाद लगातार ऐसे लोगों की गिरफ्तारियां की जा रही थी। पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा था कि "असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में अब तक 3,015 गिरफ्तारियां की गई हैं।" इस सामाजिक बुराई के खिलाफ हमारा अभियान जारी रहेगा।
अब इसी मामले पर हाईकोर्ट ने आरोपियों के एक समूह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि ये नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज, स्मगलिंग या संपत्ति चोरी का मामला नहीं है। बाल विवाह के मामलों में गिरफ्तारी से लोगों के निजी जीवन में तबाही आ सकती है। ऐसे मामलों में बच्चे, बुजुर्ग और परिवार के अन्य सदस्य जुड़े होते हैं, इसलिए गिरफ्तारी यकीनन बुरा विचार है।