भारत ने रचा इतिहास! रात के अंधेरे में INS विक्रांत पर पहली बार उतारा MiG-29K लड़ाकू विमान

    मिग-29के जेट आईएनएस विक्रांत के लड़ाकू बेड़े का हिस्सा है. मिग 29के लड़ाकू विमान बेहद उन्नत विमान है, जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. यह ध्वनि की गति से दोगुनी गति (2000 किमी प्रति घंटा) से उड़ सकता है.

    भारतीय नौसेना ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अपने नाम कर लिए है. मिग-29के ने रात के अंधेरे में आईएनएस विक्रांत पर लैंड कर इतिहास रच दिया है. भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा है कि यह आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना के उत्साह का संकेत है. भारतीय नौसेना ने इस उपलब्धि को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक और कदम बताया है. भारतीय नौसेना ने पहली बार लैंडिंग का वीडियो ट्विटर पर भी शेयर किए है.

    भारतीय नौसेना ने रचा इतिहास

    मिग-29के जेट आईएनएस विक्रांत के लड़ाकू बेड़े का हिस्सा है. मिग 29के लड़ाकू विमान बेहद उन्नत विमान है, जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. यह ध्वनि की गति से दोगुनी गति (2000 किमी प्रति घंटा) से उड़ सकता है. यह अपने वजन से आठ गुना ज्यादा वजन उठाने में सक्षम है.  यह 65000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है.

    इससे पहले तेजस विमान का नौसैनिक संस्करण आईएनएस विक्रांत पर सफलतापूर्वक उतरा था. हालांकि, तब यह लैंडिंग दिन में ही की गई थी. इसके अलावा कामोव 31 हेलीकॉप्टर को भी 28 मार्च को आईएनएस विक्रांत पर उतारा गया था.

    रक्षा मंत्री ने कहीं ये बड़ी बातें

    मिग-29के की लैंडिंग को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'आईएनएस विक्रांत पर मिग-29के की पहली रात की लैंडिंग का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए मैं भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं। यह उल्लेखनीय उपलब्धि विक्रांत चालक दल के लिए एक श्रद्धांजलि है।' और नौसेना।" पायलटों के कौशल, दृढ़ता और व्यावसायिकता का प्रमाण "

    आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला पहला विमानवाहक पोत है. इसे केरल में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा बनाया गया था। इस स्वदेशी विमानवाहक पोतका नाम भारत के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया था. 45000 टन के आईएनएस विक्रांत को 20000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था. इसे पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था.

    मिग-29K विमान की विशेषताएं

    -माना जा रहा है कि मिग-29के विमान अगले 10-15 साल तक प्रभावी रहेगा, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में इसकी संख्या कम होती जा रही है. वायुसेना के पास फिलहाल मिग-29के के 32 स्क्वाड्रन हैं और सेना को इसकी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

    -मिग-29के चौथी पीढ़ी का हाईटेक विमान है, जो नौसेना के वायु रक्षा मिशन में बेहद कारगर है. किसी भी मौसम में समान क्षमता से काम करने वाले ये विमान समुद्र और जमीन पर समान रूप से हमला कर सकते हैं.

    -मिग-29के में मल्टी फंक्शनल डिस्प्ले (एमएफडी), डिजिटल स्क्रीन और ग्लास कॉकपिट है. जो वर्जन पहले खरीदा गया था उसे बाद में अपग्रेड किया गया है जिससे इसकी मारक क्षमता भी बढ़ गई है। अब मिग-29के हवा से हवा में, हवा से जमीन पर और नौवहन रोधी अभियानों को भी अंजाम दे सकता है. यानी यह समुद्र की सतह पर भी मार करने में सक्षम है, जिसके चलते नौसेना ने इसे अपने साथ जोड़ा है.

    -मिग-29K को रूसी विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव पर तैनात किया गया था. बाद में भारत ने इसे खरीद लिया और 2010 में तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी की मौजूदगी में इन लड़ाकू विमानों को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया.

    -नौसेना ने दो दशक से अधिक के इंतजार के बाद मिग-29के हासिल किया. इससे पहले नौसेना ने 'शॉर्ट टेक ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग' (एसटीओवीएल) 'सी हैरियर' की खरीद की थी जो अस्सी के दशक में ब्रिटिश निर्मित लड़ाकू विमान थे.

    -मिग-29के में फिट किए गए हथियारों में "ए-ए", "ए-एस" मिसाइल, निर्देशित हवाई बम, रॉकेट, हवाई बम और 30 मिमी कैलिबर एयर गन शामिल हैं. कस्टमर की रिक्वेस्ट पर इसमें नए तरह के हथियार सेट किए जा सकते हैं.

    -MiG-29K हाई-टेक टारगेट और नेविगेशन सिस्टम, क्वाड-रिडंडेंट फ्लाई-बाय-वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, रडार और ऑप्टिकल लोकेटिंग स्टेशन, हेलमेट-माउंटेड टारगेट / डिस्प्ले सिस्टम, कम्युनिकेशन-सेल्फ-डिफेंस इक्विपमेंट, कॉकपिट इंस्ट्रूमेंटेशन से लैस है. उच्च उड़ान सुरक्षा, हथियारों के प्रभावी उपयोग के साथ-साथ नेविगेशन और प्रशिक्षण कार्यों को संभालने में इस विमान की बड़ी भूमिका है.