इजराइल में लाखों लोग सरकार का विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं, बता दें कि ये लोग प्रधानमंत्री नेतन्याहू के न्यायिक प्रणाली में बदलाव के कारण सड़कों पर उतरें हैं. वहीं, विरोध-प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि न्यायिक व्यवस्था में बदलाव से देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को खतरा है और साथ ही देश में न्यायालय की शक्तियां भी कम हो जाएंगी.
इस नीति का विरोध करने के लिए तेल अवीव में शनिवार की रात हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया. इजराइली मीडिया की माने तो तेल अवीव में रात के समय लगभग 1 लाख लोग एक साथ इकट्ठा हुए थे. बताते चले कि इतने भारी विरोध के बाद भी नेतन्याहू की नेतृत्व वाली सरकार पीछे कदम हटाने को तैयार नहीं है, उसने जो न्यायालय के लिए नीति बनाई है उसपर आगे बढ़ती जा रही है.
इजराइल की सरकार का कहना है कि शक्ति असंतुलन ने न्यायाधीशों और सरकारी कानूनी सलाहकारों को कानून निर्माण और शासन प्रणाली में हावी बना दिया है. इजराइल के लेखक डेविड ग्रासमैन ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में इजराइल की स्थापना इसलिए हुई थी, ताकि यहूदी लोग इसको अपना घर जैसा महसूस कर सके. अगर इतने सारे इस्राइली एक साथ अपने आपको अजनबी समझें तो जाहिर तौर पर कुछ गलत हो रहा है.
तेल अवीव में विरोध प्रदर्शन कर लोगों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे बच्चें तानाशाही में नहीं जिएंगे. वहीं इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री यायर लेपिड ने कहा कि यह देश की रक्षा करने के लिए प्रदर्शन किया जा रहा है. लोग यहां पर इसलिए इकट्ठा हुआ हैं ताकि अपने देश के लोकतंत्र की रक्षा की जा सके.