किसी मामले में राज्य सरकार द्वारा FIR दर्ज करवाने के बाद भी उसी मामले में CBI द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत पर FIR होने के बाद इसे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू ने इस मामले की सुनवाई करते हुए CBI द्वारा दर्ज की गई FIR को निरस्त करने का आदेश दिया है. यही नहीं इसके अलावा सीबीआई की कार्यप्रणाली पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए 25 हज़ार रुपए की जुर्माना भी लगाई है.
ये था मामला...
याचिकाकर्ता प्रमोद शर्मा ने बताया कि वह मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से प्रकाशित होने वाले अखबार दैनक दल सागर के संपादक और प्रकाशक हैं. घोषित प्रतियों से उनके द्वारा कम का प्रकाशन किए जाने की शिकायत मिलने के आधार पर जन संपर्क आयुक्त ने एक चार सदस्यीय टीम गठित की थी. उन्हें जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. कमेटी ने जांच कर अपनी रिपोर्ट में बताया कि केवल 2200 प्रतियों का ही प्रकाशन उनके द्वारा किया जाता है. जांच के आधार पर प्रमोद शर्मा के खिलाफ पेपर्स एंड बुक पब्लिकेशन एक्ट की धारा 3, 12, 14, 15 के अलावा 420 के तहत भी मामला दर्ज कराया गया था.
सीबीआई में भी शिकायत
इसी मामले में एक अन्य व्यक्ति ने भी सीबीआई उनके खिलाफ यही मामला दर्जा कराया. इसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसके बाद हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया.