पिछले साल 25 मई को दिल्ली की एक अदालत ने जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उस दौरान कोर्ट ने यासीन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट के इस फैसले से नाखुश राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने ठीक एक साल बाद टेरर फंडिंग मामले में दोषी यासीन मलिक को मौत की सजा दिलाने लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक (प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख) के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है. बता दें कि यासीन मलिक को निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना) और यूएपीए की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाना) के तहत अपराध के दो मामलों में पिछले साल 25 मई को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
निचली अदालत की सजा के बाद श्रीनगर के कुछ हिस्से बंद हुए थे. वहीं, शहर के मैसुमा इलाके में जेकेएलएफ समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प भी हुई थी. उस दौरान अधिकारियों ने बताया कि लाल चौक से कुछ ही दूरी पर मैसुमा में मलिक के आवास के बाहर महिलाओं समेत बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे. बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने अलगाववादी नेता के समर्थन में नारेबाजी की और इलाके में विरोध मार्च निकाला था.