Quick Heal के सीईओ कैलाश काटकर ने भारत 24 के चीफ बिजनेस ऑफिसर मनोज जग्यासी से खास बात करते हुए अपने करियर के बारे बताया और कंपनी क्वीक हिल का सफर कैसा रहा. इन तमाम मुद्दों पर विस्तार से बात करते हुए कैलाश काटकर ने कहा कि रहमितपुर में मेरा बर्थ प्लेस रहा है, वहां पर मेरे मामा रहते हैं. मेरे माता-पिता शहर में रहते थे. मेरे पिताजी फ्लीप्स कंपनी में काम करते थे, इसलिए वह पुणे आए. इसके बाद उनकी स्कूली पढ़ाई पुणे में ही हुई.
मनोज जग्यासी ने आगे पूछा कि आज के जमाने में मेंटरशिप क्यों महत्वपूर्ण है? कैलाश काटकर ने कहा कि इंसान जब आता है तो वो छोटा-सा दिमाग लेकर पैदा होता है. इतने से दिमाग में क्या-क्या इकट्ठा करेगा, इंसान अपने जीवन में इंफॉर्मेशन तो इकट्ठा कर लेता है लेकिन अनुभव उसको काम करने के बाद ही आता है. इसलिए जितने लोगों का अलग एक्सपीरियंस होता है. उन लोगों से जब बाते करते हैं तो और उनसे सीखते रहो. इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि लाइ में एक चैप्टर नहीं होता वहां बहुत से चैप्टर होता है.
रिपोर्ट ने क्वीक हील के फाउंडर पूछा कि महामारी के दौरान कई सेक्टरों को हिलाकर रख दिया. कई स्तरों पर व्यक्तिगत हिलाकर रख दिया. जब मैं आपसे व्यक्तिगत पूछूं कि आपका अनुभव किया रहा. कैलाश काटर ने कहा कि वो पल इतना डरवाना था कि पता ही नहीं चला की पूरी दुनिया इतनी डूब जाएगी. इसी दौरान मेरे पैरेंट्स का जाना. माता-पिता का मतलब है कि आपकी छत आपसे छिन गई. हमेशा एक प्रोटेक्शन का छत रहता है जब आपके साथ माता-पिता का साथ रहता है. वो एक प्रकार से मोरल सपोर्ट होता है.