RS सोढ़ी ने भारत 24 पर बताई Amul छोड़ने की पूरी कहानी...पहली बार बताए अनसुने किस्से!
आरएस सोढ़ी ने कहा, पिताजी को थोड़ा कंस्ट्रक्शन के काम की समझ थी, उस वक्त दिल्ली में कंस्ट्रक्शन की बड़ी कंपनी उत्तम सिंह दुग्गल होती थी, उसमें मेरे पिताजी को काम मिल गया.
  • Author : Sachin
  • Updated on: 26/Mar 2023

Game Changer With MJ: अमूल के पूर्व एमडी और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी से भारत 24 के चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) मनोज जिज्ञासी ने खास बातचीत की, और उनके बचपन से लेकर संघर्षों के दिनों पर विस्तार से बातें कीं. आईए जानते हैं कि अमूल और अपने करियर पर क्या बोले? 

सवाल: भारत 24 के सीबीओ मनोद जिज्ञासी ने आरएस सोढ़ी से पहला सवाल पूछा कि आप इंडियन डेयरी फेडरेशन के प्रेसिडेंट हैं, इंटरनेशनल डेयरी बोर्ड के मेंबर हैं, आपके करियर में कितना कुछ है, सोढ़ी साहब रुकेंगे कब? 

जवाब: सोढ़ी जी ने जवाब देते हुए कहा कि गुजरात के चरोतर्थ में छोटे से शहर आणंद में आए, उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता कि  आदमी कभी अपने जीवन में रुकना चाहता है. जब तक बॉडी में एनर्जी है, दिमाग चलता है तब तक काम तो करना ही है. 

सवाल: भारत 24 के पत्रकार ने सोढ़ी से पूछा कि आपके बचपन की क्या यादें हैं? 

जवाब: सोढ़ी ने कहा मनुष्य को जो सबसे ज्यादा यादगार समय होता है, बचपन ही होता है. मैं बचपन में काफी साधारण था. मेरा जन्म पंजाब के फिरोजपुर जिले के रत्ताखेड़ा में दिसंबर 1958 में जन्म हुआ. उन्होंने आगे कहा कि उस वक्त  लाइट तो  उतनी होती नहीं होती थी और हमारा गांव सड़क से करीब 6-7 किलोमीटर अंदर था. शुरू में छह-सात साल तक गांव में रहे. वहीं पर स्कूल में पढ़े और एक ही स्कूल का कमरा हुआ करता था. उसी में पांच क्लास लगा करती थी. एक टीचर होता था  वहीं सभी क्लासों के बच्चें को पढ़ाया करता था. लेकिन 1965 के वार में गांव से लोग छोड़कर जाने लगे. क्योंकि लोगों को लगता था  कि फिरोजपुर कहीं पाकिस्तान ना पहुंच जाए. उसी वक्त हमारा परिवार ट्रेन पकड़कर दिल्ली चले गए.

1965 के युद्ध में हमारी फैमिली दिल्ली आ गई: सोढ़ी

आरएस सोढ़ी ने कहा कि पिताजी को थोड़ा कंस्ट्रक्शन के काम की समझ थी, उस वक्त दिल्ली में कंस्ट्रक्शन की बड़ी कंपनी उत्तम सिंह दुग्गल होती थी, उसमें पिताजी को काम मिल गया और मेरी माता जी दिल्ली के एक स्कूल में म्यूजिक टीचर बन गईं. उन्हें म्यूजिक की अच्छी समझ थी और पढ़ी लिखी भी थी. 

मेरा IRMA में सबसे ज्यादा ट्रांसफॉर्मेशन हुआ: RS सोढ़ी 

आर एस सोढ़ी ने अपने हायर एजुकेशन के दिनों पर बता करते हुए कहा कि साल 1980 की बात है जह इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आणंद (IRMA) के एक न्यूजपेपर में विज्ञापन आया. उसमें लिखा था  कि डॉ. वर्गीज कुरियन का नाम पीक पर था. नेशनल डेयरी डेवलपमेंट के चैयरमेन थे, ऑपरेशन व्हाइट रेवेल्यूशन कर रहे थे. इरमा ने रूरल मैनेजमेंट खुल रहा है और उसमे एक साल का मैनेजमेंट कोर्स चला रहा उसके लिए 800 रुपये स्कॉलरशिप भी मिली. उन्होंने कहा कि मेरा सबसे ज्यादा ट्रांसफॉर्मेशन इरमा में ही हुआ. पूरा इंटरव्यू समझने के लिए इस वीडियो को देखें. 

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