CAA कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में अब 6 दिसंबर को होगी सुनवाई

    CAA कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ में सोमवार को सुनवाई हुई, अब इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 6 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

    रिपोर्ट: सुमित कुमार-  CAA कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब 6 दिसंबर को सुनवाई करेगा। CJI यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ में सोमवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने असम और त्रिपुरा सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का और समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने 2 वकीलों को सभी याचिकाओं में उठाए मुख्य मसलों का संग्रह तैयार करने का ज़िम्मा दिया है। दरअसल, मामले में 232 याचिकाएं हैं, इनमें से 53 असम और त्रिपुरा से जुड़ी हैं, उन्हें अलग से सुना जाएगा।

    केंद्र का SC में हलफनामा

    आपको बता दें कि CAA कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रविवार को हलफनामा दाखिल कर CAA कानून का बचाव किया। केंद्र की तरफ से गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा कि CAA एक सौम्य कानून है,असम में अवैध प्रवास को प्रोत्साहित नहीं करता है। केंद्र ने अपने हलफनामे में ये भी कहा कि CAA नागरिकों के लिए एक उदार भाव रखने वाला कानून है और CAA किसी भी तरह से नागरिकता से संबंधित मौजूदा कानूनी अधिकारों या शासन को प्रभावित नहीं करता है। 


    CAA कुछ देशों के विशिष्ट समुदायों के लिए एक माफी के तौर पर कुछ छूट देना चाहता है। केंद्र सरकार का मानना है कि सीएए एक विशिष्ट संशोधन है, जो कुछ देशों में प्रचलित एक विशिष्ट समस्या से निपटने की कोशिश है विशेष पड़ोसी देशों में वर्गीकृत समुदायों के इलाज से संबंधित मुद्दे ने लगातार सरकारों का ध्यान आकर्षित किया था लेकिन किसी भी सरकार ने कोई विधायी उपाय नहीं दिया और केवल समस्या को स्वीकारा है।

    क्या है CAA मामला

    CAA को 12 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया था। इस एक्ट की मदद से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था। वे सभी भारत की नागरिकता के पात्र होंगे। साल 2019 के अंत में और 2020 की शुरुआत में CAA को लेकर खूब विरोध प्रदर्शन हुए थे। दिल्ली में इसे लेकर महीनों तक सड़कें जाम की गई थीं।