लीबिया में पिछले दिनों रविवार को डेनियल तूफ़ान आया था. जिसके बाद से लीबिया में हाहाकार मचा हुआ है. डर्ना शहर में भारी बारिश की वजह से दो बांधों के टूटने से पूरा शहर पानी से भर गया. घर ढहने लगे, इंसान एवं जानवरों की पानी में तैरती लाशें लोगों के घरों में घुसने लगी. तबाही का ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि इस डैम की टूटने की घटना परमाणु बम से कम नहीं थी.
2 बांध के टूटने से आई विनाशकारी बाढ़
लीबिया का तटीय शहर डर्ना की जनसंख्या करीब 1.25 लाख बताई जाती है. जहां दो बांधों के टूटने से विनाशकारी बाढ़ आई. इसकी विनाशकारी लहर ने हजारों लोगों की जाने चली गई. इस घटना में मरने वालों की संख्या 40,000 से ज्यादा आंकी गई है. इस भयानक आपदा को देखने से पता चलता है कि बांध कितना खतरनाक साबित हो सकता है. अगर इसका सही रूस से देखभाल न किया जाए तो यह मानव जीवन के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है.
कचरा का इकट्ठा होना डैम के टूटने की वजह
डेनियल तूफ़ान की वजह से डैम में काफी मात्रा में पानी जमा कर हो गया. इसके साथ ही उसमें बहुत सारा कचरा भी इकट्ठा हो गया. जो डैम के टूटने का मुख्य कारण बना. डर्ना में बने दोनों बांधों का निर्माण युगोस्लाविया की कंपनी ने वर्ष 1970 में करवाया था. एक डैम में 1.80 करोड़ क्यूबिक मीटर एवं दूसरे में 35 लाख क्यूबिक मीटर पानी जमा रखने की क्षमता थी. लेकिन सैटेलाइट से लिए गए तस्वीर से पता चलता है कि ये दोनों बांध काफी समय से खाली पड़े थे. इसके साथ ही तकरीबन 20 वर्षों से इसकी उपेक्षा की जा रही थी. इसीलिए खाली बांध को सुरक्षित नहीं माना जाता है.