उज्जैन में भाई-बहन की आत्महत्या चौकाने वाली- बच्चों के नसें काटने तक मां थी मौजूद, जहर थमा कर चली गई थी बाहर

    भाई-बहन ने पहले नींद की गोलियां खाई, फिर हाथ की नसें काटी. अपनी आखिरी इच्छा में बच्चों ने मां को खून जमाकर पिता को दिखाने को कहा था. मां बच्चों को जहर देकर चली गई थी बाहर.

    उज्जैन में भाई-बहन की आत्महत्या चौकाने वाली- बच्चों के नसें काटने तक मां थी मौजूद, जहर थमा कर चली गई थी बाहर

    उज्जैन : उज्जैन के जीवाजीगंज थाना क्षेत्र के बोहरा बाखल स्थित सेफी मोहल्ले में आत्महत्या करने वाले भाई-बहन की मिस्ट्री का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. बच्चों ने आत्महत्या से पहले सुसाइड नोट लिखा था, जो कि पुलिस के हाथ लगा है. बच्चे अपने पिता प्यार न पाने और देखभाल न किए जाने से परेशान थे. वहीं मां ने बच्चों के आत्महत्या करने में मदद की. मां भी अपने पति से दुखी थी. वह विदेश से कई सालों से घर नहीं आ रहा था. उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा ने इस घटना को दुखद बताया है और बच्चों को मां-बाप का प्यार न मिलने को अफसोसजनक करार दिया है. 

    उज्जैन के एसपी प्रदीप शर्मा ने अपने बयान में कहा, "जीवाजीगंज थाना क्षेत्र में भाई-बहन की मौत की घटना दुखद है और एक पिता के गैर जिम्मेदाराना होने को जाहिर करती है. परिवार को चलाने के लिए पैसा देना ही काफी नहीं होता. बीवी, बच्चों को प्यार भी मिलना चाहिर. आत्महत्या मामले में पिता का गैर जिम्मेदार होना और मां द्वारा बच्चों को आत्महत्या करने में मदद करने की बात सामने आई है. इसलिए दोनों को आरोपी बनाया गया है."

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    ये रहा आत्महत्या का पूरा मामला

    उज्जैन के बोहरा बाखल स्थित सेफी मोहल्ले में 29 मार्च 2024 को आम दिनों की तरह रमजान पर्व का उत्साह था. समाज के लोग रमजान पर्व की इबादत में जुटे हुए थे, लेकिन इस मोहल्ले का एक परिवार था, जिसके घर की चारदिवारी के पीछे कुछ ठीक नहीं चल रहा था. घर के मुखिया पिता नौकरी के लिए कई सालों से विदेश में थे, लेकिन घर में मौजूद उनकी बीवी और बच्चों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था. 29 मार्च को सेफी मोहल्ले में उस समय सनसनी फैल गई जब मोहल्ले के दो बच्चों ने रमजान जैसे पवित्र इबादत वाले महीने में अपनी जान दे दी. दोनों ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाया. दोनों ने एक साथ आत्महत्या कर मोहल्ले के लोगों को चौका दिया. मां घटना के दौरान अपने काम से घर से बाहर थी.                                                                     

    इस घटना के बाद उज्जैन के जीवाजीगंज थाना पुलिस ने घटना के कारणों को जांच शुरू की, और घटना के कारण व उसके दोषियों तक पुलिस पहुंच भी गई.   

    बच्चों ने लिखा था सुसाइड नोट, पुलिस ने मां-पिता को बनाया मामले में आरोपी

    दरअसल, पूरी घटना को लेकर पुलिस ने बच्चों की मां और उसके पिता को (जो विदेश में रहते) को आरोपी बनाया है. वहीं बच्चों की मौत की खबर सुन जब पिता उज्जैन पहुंचे तो पुलिस ने पिता और बच्चो की मां को गिरफ्तार भी कर लिया. दरअसल बच्चों ने आत्महत्या करने के पूर्व एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने पिता पर गैर जिम्मेदार होने का आरोप लगाया था.

    आत्महत्या करने वाले लड़के को आंख से जुड़ी कोई बीमारी थी, जिससे वह काफी परेशान था और बहन का भाई के प्रति अति स्नेह होने के कारण वह भाई के इस दर्द को देख नहीं पा रही थी और जब बच्चे पिता से घर आने और इलाज की बात करते थे तो पिता आने को तौयार तो हो जाते पर इलाज कराने के नाम पर पैसे न होने  का हवाला देते थे. ऐसे में बच्चों को अपने पिता का साथ नहीं मिल पा रहा था.                                                                                         

    हालांकि पिता विदेश से खर्चे के पैसे भेजते थे और वह इसे अपनी जिम्मेदारी समझते रहे थे, जबकि बच्चों को पैसों के साथ पिता का प्यार नहीं मिल पा रहा था और बच्चो की मां को पति का प्यार नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में आखरी बार जब पिता ने इलाज के पैसे न होने की बात कही तो बच्चे टूट गए. लिहाजा उन्होंने आत्महत्या कर ली.     

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    मां ने बच्चों को लाकर दिया था जहर, फिर चली गई घर से बाहर

    बोहरा समाज के दो बच्चों की इस आत्महत्या की मिस्ट्री में मां की भूमिका को सुन हर किसी के रूहे कांप उठेंगी. पुलिस ने पूछताछ पता चला है कि बच्चों की मौत के पीछे उनकी मां की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. दरअसल, बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाने वाले है ये उनकी मां को पता था. यहां तक की मौत को गले लगाने के लिए बच्चों को जहरीला पदार्थ भी मां ने ही लाकर दिया था. बच्चों के साथ मां भी परिवार के मुखिया यानी बच्चों के पिता से परेशान थी और वह बच्चों को पिता के गैरजिम्मेदाराना रवैये से ये दुख नहीं देख पा रही थी.

    जब बच्चे पिता के प्यार के लिए टूट गए तो उन्होंने जान देने का मन बनाया और मां उनके इस प्लान से दुखी नहीं थी. बच्चो की मां बाहर काम करती है और जिस दौरान बच्चे आत्महत्या करने वाले थे, उनकी मां घर पर ही मौजूद थी. बच्चों ने मां को काम पर जाने के लिए कहा और ये भी कहा की आप स्कूल जाइए हम आत्महत्या करने वाले हैं. मां बच्चों को इस कदम को उठाने के लिए अकेला छोड़ अपने काम पर चली गई.

    बच्चों ने पहले नींद की गोली खाई, फिर काटी हाथ की नसें

    बच्चों ने आत्महत्या के लिए पहले नींद की गोलियां खाई, जब उससे बात नहीं बनी तो हाथ की नसें काट ली. इससे भी बात नहीं बनी तो फिर आखरी में सल्फास की गोलिया खा ली.

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    घटना के दौरान पुलिस को क्यों नहीं मिला खून का निशान

    आत्महत्या केस में जब पुलिस को मौके पर पहुंची थो तो उसे दोनों बच्चो की हाथों की नसे कटी मिली थीं, लेकिन पुलिस को खून के निशान नहीं मिले थे. इससे पुलिस की जांच का इशारा बदल रहा था. पुलिस एक ओर इसे हत्या की गुत्थी समझ कर भी काम कर रही थी, लेकिन पूरी पड़ताल में हत्या जैसे कोई बिंदु नहीं मिला. दरअसल, बच्चों की मौत होने के बाद जब उनकी मां घर पहुंची तो उसने मौके से खून को साफ कर दिया था. 

    बच्चों की मौत को गले लगाने के पहले ये थी उनकी आखरी इच्छा

    दोनों भाई बहन की मौत की घटना के बाद जब पुलिस मौके पर पहुंची तो मौके पर बच्चो की हाथ की नसें तो कटी थीं, लेकिन खून के कही निशान नहीं मिले. इस पर पुलिस को शक हुआ. पूछताछ में बच्चो की मां पकड़ में आई. उसने बताया कि आत्महत्या के दौरान जब बच्चों ने अपने हाथ की नसें काटी तो मां को बताकर अपनी आखरी इच्छा जाहिर की थी और वह आखरी इच्छा थी की उनके हाथों से टपकते खून को इकठ्ठा करके रखा जाए और जब उनके पिता आएं तो उन्हें दे देना और ये बताना की दोनों बच्चे उनके ही खून थे.

    पुलिस ने बच्चों के सुपुर्द-ए-ख़ाक किए जाने के बाद मां-बाप को किया गिरफ्तार

    दोनों भाई-बहन की मौत के बाद जब पिता को जानकारी पता चली तो वह विदेश से सीधे उज्जैन निकल गए और बच्चों को सुपुर्द-ए-ख़ाक होने के दौरान पहुंचे. बच्चों के दफनाए जाने के बाद पुलिस ने बच्चों की मौत के मामले में पिता के साथ उनकी मां को भी गिरफ्तार कर लिया.

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