दिवाली के मौके पर पीएम ने कारगिल में आखिरकार कह ही डाला

    पीएम ने कहा, हमने हमेशा, ये हमारा वीरता का भी कारण है, हमारे संस्कार का भी कारण है कि हमने युद्ध को हमेशा अंतिम विकल्प माना जाता है। युद्ध लंका में हुआ हो या फिर कुरुक्षेत्र में, अंत तक उसको टालने की हर संभव कोशिश हुई है।

    साथियों,

    तेजी से बदलते हुए समय में, टेक्नोलॉजी के इस दौर में भविष्य के युद्धों का स्वरूप भी बदलने जा रहा है। नए दौर में नई चुनौतियों, नए तौर-तरीकों और राष्ट्ररक्षा के बदलती ज़रूरतों के हिसाब से भी आज हम देश की सैन्य ताकत को तैयार कर रहे हैं। सेना में बड़े रिफॉर्म्स, बड़े सुधार की जो ज़रूरत दशकों से महसूस की जा रही थी, वो आज ज़मीन पर उतर रही है। हमारी सेनाओं में बेहतर तालमेल हो, हम हर चुनौती के विरुद्ध तेज़ी से, त्वरित कार्रवाई कर सकें, इसके लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए CDS जैसे संस्थान का निर्माण किया गया है। सीमा पर आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, ताकि आप जैसे हमारे साथियों को अपना कर्तव्य निभाने में अधिक सुविधा हो। आज देश में अनेक सैनिक स्कूल खोले जा रहे हैं। सैनिक स्कूलों में, सैन्य ट्रेनिंग संस्थानों को बेटियों के लिए खोल दिया गया है और मुझे गर्व है मैं बहुत सारी बेटियों को मेरे सामने देख रहा हूं। भारत की सेना में बेटियों के आने से हमारी ताकत में वृद्धि होने वाली है, ये विश्वास रखिए। हमारा सामर्थ्य बढ़ने वाला है।

     

    साथियों,

    देश की सुरक्षा का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है- आत्मनिर्भर भारत, भारतीय सेनाओं के पास आधुनिक स्वदेशी हथियार। विदेशी हथियारों पर, विदेशी सिस्टम पर हमारी निर्भरता कम से कम हो, इसके लिए तीनों सेनाओं ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया है। मैं प्रशंसा करता हूं अपनी तीनों सेनाओं की, जिन्होंने ये तय किया है कि 400 से भी अधिक रक्षा साजो सामान अब विदेशों से नहीं खरीदे जाएंगे। अब ये 400 हथियार भारत में ही बनेंगे, 400 प्रकार के भारत का सामर्थ्य बढ़ाएंगे। इसका एक और सबसे बड़ा लाभ होगा। जब भारत का जवान, अपने देश में बने हथियारों से लड़ेगा, तो उसका विश्वास चरम पर होगा। उसके हमले में दुश्मन के लिए Surprise Element भी होगा और दुश्मन का मनोबल कुचलने का साहस भी। और मुझे खुशी है कि आज एक तरफ अगर हमारी सेनाएं ज्यादा से ज्यादा मेड इन इंडिया हथियार अपना रही हैं तो वहीं सामान्य भारतीय भी लोकल के लिए वोकल हो रहा है। और लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए सपने देखकर के समय लगा रहा है।

     

    साथियों,

    आज ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल्स से लेकर ‘प्रचंड’ लाइट combat हेलीकाप्टर्स और तेजस फाइटर जेट्स तक, ये रक्षा साजो सामान भारत की शक्ति का पर्याय बन रहे हैं। आज भारत के पास, विशाल समंदर में विप्लवी विक्रांत है। युद्ध गहराइयों में हुआ, तो अरि का अंत अरिहंत है। भारत के पास पृथ्वी है, आकाश है। अगर विनाश का तांडव है, तो शिव का त्रिशूल है, पिनाका है। कितना भी बड़ा कुरुक्षेत्र होगा, लक्ष्य भारत का अर्जुन भेदेगा। आज भारत अपनी सेना की ज़रूरत तो पूरी कर ही रहा है, बल्कि रक्षा उपकरणों का एक बड़ा निर्यातक भी बन रहा है। आज भारत अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम को सशक्त रहा है, वहीं दूसरी तरफ ड्रोन जैसी आधुनिक और प्रभावी तकनीक पर भी तेज़ी से काम कर रहा है।

     

    भाइयों और बहनों,

    हम उस परंपरा को मानने वाले हैं जहां युद्ध को, हमने युद्ध को कभी पहला विकल्प नहीं माना है। हमने हमेशा, ये हमारा वीरता का भी कारण है, हमारे संस्कार का भी कारण है कि हमने युद्ध को हमेशा अंतिम विकल्प माना जाता है। युद्ध लंका में हुआ हो या फिर कुरुक्षेत्र में, अंत तक उसको टालने की हर संभव कोशिश हुई है। इसलिए हम विश्व शांति के पक्षधर हैं। हम युद्ध के विरोधी हैं। लेकिन शांति भी बिना सामर्थ्य के संभव नहीं होती। हमारी सेनाओं के पास सामर्थ्य भी है, रणनीति भी है। अगर कोई हमारी तरफ नज़र उठाकर देखेगा तो हमारी तीनों सेनाएं दुश्मन को उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब देना भी जानती हैं।

     

    साथियों,

    देश के सामने, हमारी सेनाओं के सामने, एक और सोच अवरोध बनकर खड़ी थी। ये सोच है गुलामी की मानसिकता। आज देश इस मानसिकता से भी छुटकारा पा रहा है। लंबे समय तक देश की राजधानी में राजपथ गुलामी का एक प्रतीक था। आज वो कर्तव्य पथ बनकर नए भारत के नए विश्वास को बढ़ावा दे रहा है। इंडिया गेट के पास जहां कभी गुलामी का प्रतीक था, वहां आज नेता जी सुभाषचंद्र बोस की भव्य-विशाल प्रतिमा हमारे मार्ग दिखा रही है, हमारा मार्गदर्शन कर रही है। नेशनल वॉर मेमोरियल हो, राष्ट्रीय पुलिस स्मारक हो, राष्ट्ररक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रेरणा देने वाले ये तीर्थ भी नए भारत की पहचान हैं। कुछ समय पहले ही देश ने गुलामी के प्रतीक से भारतीय नौ-सेना को भी मुक्त किया है। नौ-सेना के ध्वज से अब वीर शिवाजी की नौ-सेना के शौर्य की प्रेरणा जुड़ गई है।

     

    साथियों,

    आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है, भारत के बढ़ते सामर्थ्य पर है। जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो शांति की उम्मीद बढ़ती है। जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो समृद्धि की संभावना बढ़ती है। जब भारत की ताकत बढ़ती है, तो विश्व में एक संतुलन आता है। आज़ादी का ये अमृतकाल भारत की इसी ताकत का, इसी सामर्थ्य का साक्षात साक्षी बनने वाला है। इसमें आपकी भूमिका, आप सब वीर जवानों की भूमिका बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि आप “भारत के गौरव की शान” हैं। तन तिरंगा, मन तिरंगा, चाहत तिरंगा, राह तिरंगा। विजय का विश्वास गरजता, सीमा से भी सीना चौड़ा, सपनों में संकल्प सुहाता, कदम-कदम पर दम दिखाता, भारत के गौरव- की शान, तुम्हे देख हर भारतीय गर्व से भर जाता है। वीर गाथा घर घर गुंजे, नर नारी सब शीश नवाऐ सागर से गहरा स्नेह हमारा अपने भी हैं, और सपने भी हैं, जवानों के अपने लोग भी तो होते हैं, आपका भी परिवार होता है। आपके सपने भी हैं फिर भी अपने भी हैं, और सपने भी हैं, देश हित सब किया है समर्पित अब देश के दुश्मन जान गए है लोहा तेरा मान गये है भारत के गौरव की शान, तुम्हे देख हर भारतीय गर्व से भर जाता है। प्रेम की बात चले तो सागर शान्त हो तुम पर देश पे नज़र उठी तो फिर वीर ‘वज्र’ ‘विक्रांत’ हो तुम, एक निडर ‘अग्नि’, एक आग हो तुम ‘निर्भय’ ‘प्रचंड’ और ‘नाग’ हो तुम ‘अर्जुन’ ‘पृथ्वी’ ‘अरिहंत’ हो तुम हर अन्धकार का अन्त हो तुम, तुम यहाँ तपस्या करते हो वहाँ देश धन्य हो जाता है, भारत के गौरव- की शान, तुम्हे देख हर भारतीय गर्व से भर जाता है। स्वाभिमान से खड़ा हुआ मस्तक हो तुम आसमां में ‘तेजस’ की हुंकार हो तुम दुश्मन की आँख में, आँख डाल के जो बोले ‘ब्रम्होस’ की अजेय ललकार हो तुम, हैं ऋणी तुम्हारे हर पल हम यह सत्य देश दोहराता है। भारत के गौरव- की शान, तुम्हे देख हर भारतीय गर्व से भर जाता है।

     

    एक बार फिर आप सभी को और कारगिल के वीरों की यह तीर्थ भूमि के हिमालय की गोद से मैं देश और दुनिया में बसे हुए सब भारतीयों को मेरे वीर जवानों की तरफ से, मेरी तरफ से भी दीपावली की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए, पूरे हिमालय से गूंज आनी चाहिए।

     

    भारत माता की जय!

    भारत माता की जय!

    भारत माता की जय!

    वंदे मातरम!

    वंदे मातरम!

    वंदे मातरम!