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UBT Care Foundation की टीम लोगों के बीच सोशल अवेयरनेस फैलाने का काम करती हैं. इसका उद्देश्य उत्तराखंड जैसा सुंदर राज्य को दुनिया की नंबर 1 क्लीन सिटी बनाना है.

UBT Care Foundation: साफ सफाई के बीच कौन नहीं रहना चाहता. हम हर सुबह जब अपने दिन की शुरूआत करते हैं तो घर को साफ किया जाता है, ताकि घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रही और हमें गंदगी में ना रहने पड़े. लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो अपने घर को तो साफ कर लेते हैं लेकिन वही कूड़ा वह बाहर फेंक देते हैं. इसकी वजह से एनवायरनमेंट पर काफी नुकसान पहुंचता है. पीएम मोदी ने साल 2014 में  स्वच्छता अभियान की शुरूआत की थी. इससे प्रेरित होकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए उत्तराखंड का यूबीटी केयर्स फाउंडेशन हर रविवार को स्वच्छता अभियान चलाता है.

क्या करता है यूबीटी केयर्स फाउंडेशन ? 

यूबीटी केयर्स फाउंडेशन (UBT Care Foundation) एक NGO है, इससे जुड़ी टीम  लोगों के बीच सोशल अवेयरनेस फैलाने का काम करती हैं और साफ-सफाई को लेकर जागरूक करती है. हाल ही में यूबीटी केयर्स फाउंडेशन ने शिखर फॉल में स्वच्छता अभियान चलाया. इस बीच सभी में काफ़ी उत्साह देखने को मिला. ये टीम चाहे बारिश हो चाहे गरमी इसके बावजूद भी कूड़ा इकट्ठा करती है. संस्था का उद्देश्य यह है कि, जब तक उत्तराखंड जैसा सुंदर राज्य दुनिया की नंबर 1 क्लीन सिटी ना बन जाए, तब तक उनका अभियान जारी रहेगा. 

कब हुई इसकी शुरूआत?

यूबीटी केयर्स फाउंडेशन की शुरूआत तीन दोस्तों ने मिलकर की थी. जिनके नाम प्रज्वल जोशी, पीयूष बिष्ट और मनीष रतूड़ी है. भारत 24 से बातचीत करते हुए प्रज्वल जोशी ने बताया कि साफ-सफाई को लेकर वह पहले से ही कुछ अलग करना चाहते थे. फिर उन्होंने अपने दोनों दोस्तों के साथ मिलकर डेढ़ साल पहले इसकी शुरूआत की. ये लोग अपने अभियान की वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे. धीरे-धीरे टीम के साथ लोग जुड़ने लगे और आज यूबीटी केयर्स के साथ 1000 से ज्यादा लोग शामिल हो चुके हैं. 

'सरकार तक पहुंचानी है आवाज'

NGO के फाउंडर प्रज्वल जोशी बताते हैं कि, अब तक उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर 27 से ज्यादा ड्राइव कर ली है. लेकिन जैसे-जैसे टीम बड़ रही है तो अब उन्हें फंड के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे ग्लव्स, मास्क, कूड़ा उठाने के लिए बोरे आदि चीजों की जरूरत होती है. तो बस अब संस्थान का यही कहना है कि, किसी भी तरह सरकार तक उनकी बात पहुंचे और कुछ सहायता मिल जाए. 

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