UP Civic Elections को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, OBC आरक्षण के साथ चुनाव कराने की मिली इजाजत

    उत्तर प्रदेश में आगामी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आरक्षण की अनुमति दे दी है.

    UP Civic Elections: उत्तर प्रदेश में आगामी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने  आरक्षण की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिए है कि वह इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करे. बता दें कि योगी सरकार ने ओबीसी को आरक्षण के मुद्दे के संबंध में एक रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी, जिसके लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की गई थी.

    जानिए कोर्ट ने क्या कहा?

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने पिछले साल दिसंबर में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार की मसौदा अधिसूचना को रद्द कर दिया था. साथ ही ओबीसी के लिए बिना आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया, जिसके बाद पैनल का गठन किया गया। कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित "ट्रिपल टेस्ट" औपचारिकता को पूरा करने में विफल रही है.

    सीएम योगी ने कही थी ये बड़ी बातें

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, सीएम आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा था कि राज्य के शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव ओबीसी के लिए आरक्षण के बिना नहीं होंगे और आयोग की स्थापना की थी. यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था.यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के मुताबिक, राज्य सरकार आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

    आयोग में कौन कौन था शामिल?

    इस आयोग में पांच सदस्यीय की टीम हैं. जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह हैं. और चार अन्य सदस्य में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी महेंद्र कुमार और चोब सिंह वर्मा, पूर्व अतिरिक्त कानूनी सलाहकार बृजेश कुमार सोनी और संतोष कुमार विश्वकर्मा हैं. ओबीसी आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल की स्वीकृति के बाद की गई थी.