Sengol क्या है? 14 अगस्त 1947 की रात क्यों बुलवाए गए थे दक्षिण के मठाधीशों को, अंग्रेज भी रह गए हैरान..

    अमित शाह ने कहा कि जब अंग्रेज भारत को सत्ता लौटा रहे थे, तब पंडित नेहरू ने सत्ता हस्तांतरण के लिए एक प्रक्रिया अपनाई थी. शाह ने बताया कि यह प्रक्रिया हमारी प्राचीन सभ्यता से जुड़ी है.

    Sengol क्या है? 14 अगस्त 1947 की रात क्यों बुलवाए गए थे दक्षिण के मठाधीशों को, अंग्रेज भी रह गए हैरान..

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. लेकिन इससे पहले ही राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है. विपक्ष की 19 पार्टियों ने कहा है कि वे नए संसद भवन के उद्घाटन में हिस्सा नहीं लेंगी. बुधवार को विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया था कि 'जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से नष्ट कर दिया गया है, तो हमें नए भवन का कोई मूल्य नहीं दिखता.' वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन करने की मांग की है.

    श्रम योगियों को सम्मानित करेंगे पीएम मोदी

    इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि '60,000 श्रमिकों ने तय समय में नए संसद भवन का निर्माण किया है.' इसलिए पीएम इस मौके पर सभी श्रम योगियों को सम्मानित करना चाहते हैं. इसे राजनीति से मत जोड़िए, यह चलता रहता है. हमने सभी को आमंत्रित किया है. हम चाहते हैं कि इस कार्यक्रम में हर कोई शामिल हो. इसके बाद अमित शाह ने एक कहानी सुनाई. जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि इस कहानी को बहुत कम लोग जानते हैं.

    सेंगोल है सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक

    प्रेस को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब अंग्रेज भारत को सत्ता लौटा रहे थे, तब पंडित नेहरू ने सत्ता हस्तांतरण के लिए एक प्रक्रिया अपनाई थी. शाह ने बताया कि यह प्रक्रिया हमारी प्राचीन सभ्यता से जुड़ी है. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से 'सेंगोल' स्वीकार किया था. यह सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है. इस परंपरा को तमिल भाषा में सेंगोल कहा जाता है.

    सी. राजगोपालाचारी ने बताई सेंगोल की प्रक्रिया 

    अमित शाह ने कहा कि 14 अगस्त, 1947 की रात करीब 10 बजकर 45 मिनट पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु से आए विद्वानों से इस सेंगोल को स्वीकार किया था. उस समय भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत के गवर्नर जनरल के रूप में भेजा गया था. माउंटबेटन भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाजों से अवगत नहीं थे, इसलिए उन्होंने नेहरू से पूछा कि सत्ता हस्तांतरण के लिए कौन सा समारोह आयोजित किया जाना चाहिए. नेहरू भी संदेह की स्थिति में थे. उन्होंने कुछ समय मांगा. पंडित नेहरू ने इस विषय पर गहन जानकारी के लिए भारतीय संस्कृति के नेता सी. राजगोपालाचारी को बुलाया.

    पंडित नेहरू ने निभाया सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया

    इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए सी राजगोपालाचारी ने कई किताबें पढ़ीं, ऐतिहासिक परंपराओं को जाना. उन्होंने कई साम्राज्यों की पड़ताल की और सेंगोल को सौंपने की प्रक्रिया ढूंढ निकाली. इसके बाद पंडित नेहरू ने तमिलनाडु से विद्वानों को बुलाकर सेंगोल को स्वीकार किया और सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को निभाया. 

    सेंगोल को अब म्यूजियम में रखना ठीक नहीं- अमित शाह 

    अमित शाह ने आगे कहा कि सेंगोल को अब म्यूजियम में रखना ठीक नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल के बारे में पूरी जानकारी इक्कट्ठा की है. जिसके बाद यह फैसला लिया गया है कि इसे देश के नए संसद भवन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में रखा जाएगा. सेंगोल को रखने की प्रक्रिया 28 मई को उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान ही पूरी की जाएगी.

    28 मई को, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के एक प्रतिनिधि से सेंगोल प्राप्त करेंगे और इसे नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन भवन में रखेंगे। सेंगोल का अर्थ है - धन से संपन्न.