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क्यों खास है हमारा नया संसद भवन, खर्च समेत जानें इसकी खूबियां
संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी. जिसमें 8 विधेयकों को पारित करने पर चर्चा होगी.

संसद के विशेष सत्र की शुरुआत सोमवार 18 सितंबर से शुरू हो गई है. इस सत्र के पहले दिन भारत की आजादी के 75 वर्षों की उपलब्धियों पर चर्चा हुई. संसद के इस विशेष सत्र के दौरान कुल 8 विधेयकों को पारित करने को लेकर उसे सूचीबद्ध किया गया है. जिनमें मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा की शर्तें एवं कार्यालय की अवधि)विधेयक 2023, द प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स बिल तथा डाकघर बिल मुख्य है.

नए भवन में होगी संसद सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही

संसद के विशेष सत्र के पहले दिन की कार्यवाही पुराने संसद भवन में ही हुई. जबकि संसद सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नए भवन (New Parliament building) में होगी. इसी संर्दभ में रविवार को संसद के नए भवन में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा पहली बार तिरंगा फहराया गया.

सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत नए भवन का निर्माण

इस नए संसद भवन की आधारशिला 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने रखी थी. इसका निर्माण 15 जनवरी, 2021 से शुरू हुआ था तथा तकरीबन ढाई वर्ष के कड़ी मेहनत के बाद यह बनकर तैयार हो गया. जिसके बाद इस नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को हुआ. इस नए संसद भवन का निर्माण सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत कराया गया है. यह नया संसद भवन त्रिकोण आकार का है, लेकिन वास्तव में यह एक अनियमित षटकोण है.

देश के 3 राष्‍ट्रीय प्रतीक नए संसद की आधारशिला

नया संसद भवन करीब 65 हजार वर्ग मीटर (64,500 वर्ग मी.) में फैला है. जिसकी इमारत चार मंजिला है. इसके निर्माण में करीब 60 हजार श्रमवीरों ने अपना योगदान दिया है. इसके साथ ही इस नए भवन को बनाने में करीब 1,200 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. नए संसद भवन की संरचना में देश के 3 राष्‍ट्रीय प्रतीक- राष्ट्रीय पुष्प कमल, राष्ट्रीय पक्षी मोर एवं राष्ट्रीय वृक्ष बरगद को में शामिल किया गया है. इस नए लोकसभा का ढांचा राष्‍ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है. जबकि राज्‍यसभा का ढांचा राष्‍ट्रीय पुष्‍प कमल पर आधारित है. इसके साथ ही यहां पर एक ओपन स्‍पेस है जहां राष्‍ट्रीय वृक्ष बरगद लगाया गया है.

भारत की पुरातन परंपरा एवं संस्‍कृति की झलक

वहीं लोकसभा कक्ष में अधिकतम 888 सांसदों के बैठने की व्‍यवस्‍था है. जबकि दूसरी तरफ राज्‍यसभा कक्ष में 384 सांसद बैठने की क्षमता है. इस नए संसद भवन में प्रवेश के लिए छह द्वार बनाए गए हैं. इसके द्वार पर बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सत्यमेव जयते’लिखा हुआ है. भारत के इस नए संसद भवन में आधुनिकता के साथ-साथ भारत की पुरातन परंपरा एवं संस्‍कृति की झलक देखने को मिलती है.

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